Showing posts with label बुद्ध के 6 अनजाने रहस्य. Show all posts
Showing posts with label बुद्ध के 6 अनजाने रहस्य. Show all posts

Wednesday, July 13, 2022

Gautam buddha

 

                बुद्ध के 6 अनजाने रहस्य  

                                                                 

1. बुद्ध के माता पिता ने-

                               बुद्ध का नाम जन्म से  सिद्धार्थ रखा था । सिद्धार्थ के पिता शुद्धोदन कपिलवस्तु के राजा थे और उनका सम्मान नेपाल ही नहीं भारत में भी था। उनकी माता का नाम महामाया देवी था। सिद्धार्थ की मौसी गौतमी ने उनका लालन-पालन किया क्योंकि बुद्ध  के जन्म के सात दिन बाद ही उनकी मां का देहांत हो गया था ।


2. पत्नी और पुत्र -

                       गौतम बुद्ध एक शाक्यवंशी छत्रिय थे। शाक्य वंश में जन्मे युवराज  सिद्धार्थ का 16  वर्ष की उम्र में दंडपाणि शाक्य की कन्या यशोधरा के साथ विवाह हुआ। कुछ बर्ष बाद यशोधरा से उनको एक पुत्र मिला जिसका नाम राहुल रखा गया। बाद में यशोधरा और राहुल दोनों बुद्ध के भिक्षु हो गए थे।

                                                                  

बुद्ध के 6 अनजाने रहस्य

3. बुद्ध पर भविष्यवाणी - 

                               बुद्ध के जन्म के बाद एक भविष्यवक्ता ने बुद्ध के पिता राजा शुद्धोदन से कहा था कि यह बालक भाभी चक्रवर्ती सम्राट बनेगा, किन्तु  यदि इस बालक में वैराग्य भाव उत्पन्न हो गया तो इसे बुद्ध होने से कोई नहीं रोक सकता और इसकी ख्याति पुरे संसार में अनंतकाल तक कायम रहेगी। राजा शुद्धोदन अपने बालक सिद्धार्थ को चक्रवर्ती सम्राट बनते देखना चाहते थे इसीलिए उन्होंने सिद्धार्थ के आस-पास नव युवक और नव युवकियो  को सेवा के लिए आयोजित किया  ताकि किसी भी प्रकार से वैराग्य उत्पन्न न हो। 


 4. बुद्ध का वैराग्य भाव -

                           एक बार रथ पर सवार होकर बुद्ध बगीचे की सैर पर गए तो रास्ते में पहली बार उन्होंने एक वृद्ध महिला , एक रोगी आदमी , और एक अर्थी फिर एक संन्यासी को देखा। बुद्ध ने अपने सारथी से इस बारे में पूछा तो सारथी ने इस विषय में विस्तार से बताया कि जब व्यक्ति वृद्ध होकर रोगी हो जाता है। एक रोगी होकर मृत्यु को प्राप्त होता है। लेकिन यह एक सन्यासी ही है जो इस संसार में  मृत्यु के पार जीवन की खोज में निकला है। यह सब सुनकर गौतम बुद्ध के मन में वैराग्य का भाव  उत्पन्न हो गया |  


5. बुद्ध का गृहत्याग -

                                आधी रात को सिद्धार्थ अपना महल त्यागकर 30  मील  दूर गोरखपुर के पास अमोना नदी के एक विख्यात  तट पर जा पहुंचे। वहां उन्होंने अपने राज वस्त्र उतारे और अपने केश काटकर खुद को संन्यासी  कर दिया। उस समय  उनकी आयु थी 29 वर्ष। बहुत  कठिन तप के बाद उन्होंने बोधी प्राप्त की। बोधी प्राप्ति की घटना ईसा से 528 वर्ष पूर्व की है जब सिद्धार्थ 35 वर्ष के थे। भारत के बिहार में स्थित  बोधगया में आज भी वह वटवृक्ष विद्यमान है जो  बोधीवृक्ष के नाम से जाना जाता है। सम्राट अशोक इस वृक्ष की शाखा श्रीलंका ले गए थे,वहा पर भी इस वृक्ष का अंस है | 

                              read more - ****दान की महिमा*****


6. बुद्ध के गुरु व शिष्य -

                               बुद्ध के प्रमुख गुरु विश्वामित्र, अलारा, कलम और  उद्दाका रामापुत्त थे जबकि बुद्ध के प्रमुख दस प्रिय  शिष्य आनंद, अनिरुद्ध (अनुरुद्धा), महाकश्यप और  रानी खेमा (महिला) फिर  महाप्रजापति (महिला), भद्रिका, भृगु, किम्बाल, देवदत्त, और उपाली (नाई) थे।

gautam buddha jayanti

    बुद्ध जयंती Gautam buddha Purnima                                                             बुद्ध जयंती(Gautam buddha Jayanti) -      ...