Tuesday, July 5, 2022

Life of Gautam Buddha-गौतम बुद्ध के उपदेश और जीवन

Life of Gautam Buddha-गौतम बुद्ध के उपदेश और जीवन 


                     गोतम बुद्ध का जन्म वैशाख मास की पूर्णिमा को नेपाल के लुम्बिनी में हुआ था। इसी वैशाख मास की पूर्णिमा को गौतम बुद्ध को कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। और इसी वैशाख मास की पूर्णिमा को महापरिनिर्वाण यामी गौतम बुद्ध ने अपना शरीर छोड़ा था। इसीलिए वैशाख मास की पूर्णिमा को बुध पूर्णिमा भी कहते हैं और इसी दिन गौतम बुद्ध के अनुयायि बुद्धपूर्णिमा मनाते हैं




       गौतम बुद्ध का जन्म : गौतम बुद्ध का जन्म ईसा से 563 साल पहले नेपाल के लुम्बिनी वन में हुआ। उनके जन्म का नाम सिद्धार्थ रखा गया। उनकी माता का नाम महामाया देवी था। उनके पिता नाम शुद्धोदन था जो कपिलवस्तु के राजा थे और उनका मान-सम्मान नेपाल ही नहीं समूचे भारतवर्ष में था। सिद्धार्थ की मौसी गौतमी ने उनका पालन-पोषण किया क्योंकि सिद्धार्थ के जन्म के 7 दिन बाद ही उनकी माता का स्वर्गवास हो गया था।

                गौतम बुद्ध के गुरु व शिक्षा-दीक्षा :- सिद्धार्थ ने कई विद्वानों को अपना गुरु बनाया जिसमें गुरु अलारा, कलम, उद्दाका रामापुत्त, आचार्य सब्बमित्तगुरु और विश्वामित्र थे। गुरु विश्वामित्र से उन्होंने वेद और उपनिषद् के शिक्षा ली साथ ही राजनीति और युद्ध-विद्या की भी शिक्षा ली। कुश्ती, घुड़सवारी, तीरंदाजी, रण-कौशल में उनकी बराबरी कोई नहीं कर सकता था।

Gautam buddha life story




 गौतम बुद्ध के प्रमुख दस शिष्य : आनंद, अनिरुद्ध, महाकश्यप, रानी खेमा, महाप्रजापति, भद्रिका, भृगु, किम्बाल, देवदत्त, और उपाली।

                 गौतम बुद्ध का विवाह :- सिद्धार्थ का विवाह सोलह वर्ष की आयु में दंडपाणि शाक्य की पुत्री यशोधरा के साथ सम्पन्न हुआ। यशोधरा के गर्भ से उनको एक पुत्र मिला जिसका नाम राहुल रखा गया। बाद में यशोधरा और राहुल दोनों बौद्ध धर्म अपनाकर बुद्धभिक्षु हो गए थे।

                   गौतम बुद्ध का वैराग्य भाव :- बुद्ध के जन्म के बाद एक भविष्यवक्ता की नजर सिद्धांत पर पड़ी तब भविष्यवक्ता राजा शुद्धोदन से कहा कि तुम्हारा यह पुत्र चक्रवर्ती सम्राट बनेगा, परन्तु वैराग्य भाव उत्पन्न हो गया तो तुम्हारे पुत्र को बुद्ध होने से कोई नहीं रोक सकता और इसकी किर्ति समूची पृथ्वी पर अनंतकाल तक कायम रहेगी।

                  गौतम बुद्ध गृह त्याग :- हृदय में वैराग्य भाव तो बहुत कम आयु से था। आयु थी 29 वर्ष एक रात सिद्धार्थ अपनी पत्नी यशोधरा और पुत्र राहुल को जो हो रहे थे, दोनों के सिर पर हाथ रखा और फिर दबे पांव महल से बाहर निकले और अश्व पर सवार हो गए। रात भर अश्व को दौड़ाकर 30 योजन दूर गोरखपुर के करीब अमोना नदी के तट पर जा कर उतरे। वहां सिद्धांत ने शाही वस्त्र उतारे और अपने सिर के काटकर सन्यासी बन गए।

                 गौतम बुद्ध की तपस्या :- सिद्धार्थ वन-वन और नगर-नगर भिक्षाटन करते और जब कोई साधु महात्मा मिल जाता तो उससे योग साधनाओं के बारे में पूछते उनसे सीखते और कठोर तप करते। सिद्धांत ने कठोर साधनाएं कि, कठोर योग क्रियाएं की, कठोर उपवास रखें लेकिन उन्हें कोई शांति नहीं मिली।

                  बोधीवृक्ष :- एक सुजाता नाम की महिला के कहने पर वह एक वृक्ष के नीचे ध्यान लगा कर बैठ गए और उसी रात ध्यान लगाते समय सिद्धार्थ को सत्य का बोध हुआ। और उन्हें बुद्धत्व प्राप्त हुआ। वर्तमान समय में बिहार के बोधगया में भी वह वटवृक्ष मौजूद है जिसे अब बोधीवृक्ष के नाम से जाना जाता है

गौतम बुद्ध ने 80 वर्ष की उम्र तक जीवन और धर्म के हर पहलू पर उपदेश दिए और लोगों को दीक्षा देकर बौद्ध शिक्षा के प्रचार-प्रसार लिए भेजा। गौतम बुध के पिता सुद्धोधन और पुत्र राहुल ने भी उनसे दीक्षा ली।

                      गौतम बुद्ध महापरिनिर्वाण :- ईसा से 483 वर्ष पहले गौतम बुद्ध 80 वर्ष की आयु में उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में महापरिनिर्वाण प्राप्त किया।

                       गौतम बुद्ध बहुत बड़े धर्म प्रचारक थे, उन्होंने अपने ज्ञान और विवेक से संपूर्ण संसार को सही राह दिखाई है और बौद्ध धर्म की स्थापना की है। उन्हें की शिक्षाओं का पूरी दुनिया लाभ उठा रही है। उनकी कुछ शिक्षाओं को नीचे दिया गया है जो हमारे आम जीवन में काफी महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती है।

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