Sunday, July 17, 2022

gautam buddha jayanti

    बुद्ध जयंती Gautam buddha Purnima


                                                          

Gautam buddha Jayanti  image

 बुद्ध जयंती(Gautam buddha Jayanti) -

                      यानी सिद्धार्थ का जन्म नेपाल की तराई के एक लुम्बिनी वन में  कपिलवस्तु के महाराजा शुद्धोदन और  धर्मपत्नी महारानी महामाया  के घर हुआ था। सिद्धार्थ ही आगे भगवान बुद्ध के नाम से विख्यात हुए । बुद्ध के जन्म, बोध और निर्वाण के संदर्भ में भारतीय पंचांग में  वैशाख मास की पूर्णिमा की पवित्रता की प्रासंगिकता स्वयंसिद्ध है।


 इस पुनीत तिथि को ही बुद्ध का जन्म  हुआ, और आत्मज्ञान अर्थात बोध हुआ और महापरिनिर्वाण हुआ। गौतम बुद्ध ने अपने सभी उपदेशों में संतुलन की धारणा को ज्यादा महत्व दिया | 

योग की अति(Gautam buddha Jayanti)-

                                                                               उन्होंने इस समस्या  पर बहुत बल दिया कि भोग की अति से बचना जितना आवश्यक है उतना ही योग की अति अर्थात तपस्या से भी बचना जरूरी है। भोग की अति से चेतना के चीथड़े होकर विवेक लुप्त और संस्कार समाप्त हो जाते  हैं। परिणामस्वरूप व्यक्ति के दिल-दिमाग  पर विनाश डेरा डल जाता  है। ठीक वैसे ही तपस्या की अति से देह अति दुर्बल और मनोबल बहुत  कमजोर हो जाता है। परिणामस्वरूप आत्मज्ञान की प्राप्ति अति अलभ्य हो जाती है, क्योंकि कमजोर और मूर्च्छित-से मनोबल के आधार पर आत्मज्ञान प्राप्त करना ठीक वैसा ही है जैसा कि रेत या गीली मिट्टी की बुनियाद पर भव्य भवन निर्मित करने का स्वप्न देखना । गौतम बुद्ध का कहना है कि चार आर्य सत्य हैं: पहला यह कि दुःख है। दूसरा यह कि दुःख का कारण भी  है। तीसरा यह कि दुःख का निदान है। चौथा यह कि वह मार्ग भी  है जिससे दुःख का निदान होता है।


बुद्ध के मत में अष्टांगिक मार्ग ही वह मध्यम मार्ग है जिससे दुःख का निदान हो सकता  है। अष्टांगिक मार्ग चूंकि ज्ञान, संकल्प, वचन, कर्मांत, आजीव, व्यायाम, स्मृति और समाधि के संदर्भ में सम्यकता से साक्षात्कार कराता है, अतः मध्यम मार्ग है। मध्यम मार्ग ज्ञान देने वाला है, शांति देने वाला भी  है, निर्वाण देने वाला है, अतः कल्याणकारी है और जो कल्याणकारी है वही श्रेयस्कर (सर्वश्रेस्ट) है।

                                                 

गौतम बुद्ध विश्वकल्याण के लिए सदैव मैत्री भावना पर बल देते हैं। ठीक वैसे ही जैसे महावीर स्वामी ने मित्रता के प्रसार की बात कही थी। गौतम बुद्ध मानते हैं कि मैत्री के मोगरों की महक से ही संसार में सद्भाव का सौरभ फैल सकता

Gautam buddha Jayanti image

है। वे कहते हैं कि बैर से  कभी बैर नहीं मिटता। अबैर से मैत्री से ही बैर मिटता है।


मित्रता ही एक सनातन नियम है।  गौतम बुद्ध घृणा के घावों पर मोहब्बत का मरहम लगाते हैं। आज बेईमानी के बाजार में स्वार्थ के सिक्के चल रहे हैं।

read more- बुद्ध के 6 अनजाने रहस्य 

'पगड़ी उछाल' की राजनीति अनैतिकता के आंगन में अठखेलियां कर रही हैं। अन्याय की आग में ईमान को ईंधन बनाया जा रहा है। दया का दम घुट रहा है। छल-छंद की छुरियों से विश्वसनीयता को घायल किया जा रहा है। ऐसी त्रासद स्थिति से मुक्ति के लिए गौतम बुद्ध की शिक्षाओं को अपने आचरण में लाना आवश्यक भी है और बहुत महत्वपूर्ण भी।

Wednesday, July 13, 2022

Gautam buddha

 

                बुद्ध के 6 अनजाने रहस्य  

                                                                 

1. बुद्ध के माता पिता ने-

                               बुद्ध का नाम जन्म से  सिद्धार्थ रखा था । सिद्धार्थ के पिता शुद्धोदन कपिलवस्तु के राजा थे और उनका सम्मान नेपाल ही नहीं भारत में भी था। उनकी माता का नाम महामाया देवी था। सिद्धार्थ की मौसी गौतमी ने उनका लालन-पालन किया क्योंकि बुद्ध  के जन्म के सात दिन बाद ही उनकी मां का देहांत हो गया था ।


2. पत्नी और पुत्र -

                       गौतम बुद्ध एक शाक्यवंशी छत्रिय थे। शाक्य वंश में जन्मे युवराज  सिद्धार्थ का 16  वर्ष की उम्र में दंडपाणि शाक्य की कन्या यशोधरा के साथ विवाह हुआ। कुछ बर्ष बाद यशोधरा से उनको एक पुत्र मिला जिसका नाम राहुल रखा गया। बाद में यशोधरा और राहुल दोनों बुद्ध के भिक्षु हो गए थे।

                                                                  

बुद्ध के 6 अनजाने रहस्य

3. बुद्ध पर भविष्यवाणी - 

                               बुद्ध के जन्म के बाद एक भविष्यवक्ता ने बुद्ध के पिता राजा शुद्धोदन से कहा था कि यह बालक भाभी चक्रवर्ती सम्राट बनेगा, किन्तु  यदि इस बालक में वैराग्य भाव उत्पन्न हो गया तो इसे बुद्ध होने से कोई नहीं रोक सकता और इसकी ख्याति पुरे संसार में अनंतकाल तक कायम रहेगी। राजा शुद्धोदन अपने बालक सिद्धार्थ को चक्रवर्ती सम्राट बनते देखना चाहते थे इसीलिए उन्होंने सिद्धार्थ के आस-पास नव युवक और नव युवकियो  को सेवा के लिए आयोजित किया  ताकि किसी भी प्रकार से वैराग्य उत्पन्न न हो। 


 4. बुद्ध का वैराग्य भाव -

                           एक बार रथ पर सवार होकर बुद्ध बगीचे की सैर पर गए तो रास्ते में पहली बार उन्होंने एक वृद्ध महिला , एक रोगी आदमी , और एक अर्थी फिर एक संन्यासी को देखा। बुद्ध ने अपने सारथी से इस बारे में पूछा तो सारथी ने इस विषय में विस्तार से बताया कि जब व्यक्ति वृद्ध होकर रोगी हो जाता है। एक रोगी होकर मृत्यु को प्राप्त होता है। लेकिन यह एक सन्यासी ही है जो इस संसार में  मृत्यु के पार जीवन की खोज में निकला है। यह सब सुनकर गौतम बुद्ध के मन में वैराग्य का भाव  उत्पन्न हो गया |  


5. बुद्ध का गृहत्याग -

                                आधी रात को सिद्धार्थ अपना महल त्यागकर 30  मील  दूर गोरखपुर के पास अमोना नदी के एक विख्यात  तट पर जा पहुंचे। वहां उन्होंने अपने राज वस्त्र उतारे और अपने केश काटकर खुद को संन्यासी  कर दिया। उस समय  उनकी आयु थी 29 वर्ष। बहुत  कठिन तप के बाद उन्होंने बोधी प्राप्त की। बोधी प्राप्ति की घटना ईसा से 528 वर्ष पूर्व की है जब सिद्धार्थ 35 वर्ष के थे। भारत के बिहार में स्थित  बोधगया में आज भी वह वटवृक्ष विद्यमान है जो  बोधीवृक्ष के नाम से जाना जाता है। सम्राट अशोक इस वृक्ष की शाखा श्रीलंका ले गए थे,वहा पर भी इस वृक्ष का अंस है | 

                              read more - ****दान की महिमा*****


6. बुद्ध के गुरु व शिष्य -

                               बुद्ध के प्रमुख गुरु विश्वामित्र, अलारा, कलम और  उद्दाका रामापुत्त थे जबकि बुद्ध के प्रमुख दस प्रिय  शिष्य आनंद, अनिरुद्ध (अनुरुद्धा), महाकश्यप और  रानी खेमा (महिला) फिर  महाप्रजापति (महिला), भद्रिका, भृगु, किम्बाल, देवदत्त, और उपाली (नाई) थे।

Tuesday, July 12, 2022

Gautam buddha

                     ****दान की महिमा*****

Gautam buddha-

Gautam buddha



एक बार की बात है जव  भगवान बुद्ध का जब पाटलिपुत्र में शुभागमन हुआ, तो हर व्यक्ति अपनी-अपनी सांपत्तिक अपनी  स्थिति के अनुसार उन्हें उपहार देने की योजना बनाई ।

Gautam buddha

 तो राजा बिंबिसार ने भी कीमती हीरे, मोती और रत्न बुद्ध को  पेश किए। बुद्ध देव ने सबको एक हाथ से सहर्ष स्वीकार किया। इसके बाद वह पर उपस्तित  मंत्रियों और सेठों, साहूकारों ने भी अपने-अपने उपहार उन्हें अर्पित किए और बुद्ध देव ने फिर से  उन सबको एक हाथ से स्वीकार कर लिया।



इतने में एक बुढ़िया लाठी टेकते वहां आई। बुद्धदेव को प्रणाम किया और फिर  वह बोली, ' भगवन्, जिस समय आपके आने का समाचार मुझे मिला, उस समय मैं यह अनार खा रही थी। मेरे पास कोई दूसरी चीज न होने के कारण मैं इस अधखाए फल को ही ले आई हूं। यदि आप मेरी इस तुच्छ भेंट स्वीकार करें, तो मैं अहोभाग्य समझंगी।' यह देखते हुए भगवान बुद्ध ने दोनों हाथ सामने कर वह फल ग्रहण किया।



राजा बिंबिसार ने जब यह देखा तो उनके मन में एक जिज्ञाशा उत्पन्न हुई और उन्होंने बुद्धदेव से कहा, 'भगवन्, क्षमा करें! एक प्रश्न पूछना चाहता हूं।कि  हम सबने आपको इतने कीमती और बड़े-बड़े उपहार, हीरे  इत्यादि भेट में दिए है , जिन्हें आपने सिर्फ  एक हाथ से ग्रहण किया लेकिन जव इस बुढ़िया द्वारा दिए गए सिर्फ एक  छोटे एवं जूठे फल को आपने खुले ह्रदय एवं दोनों हाथों से ग्रहण किया   ऐसा क्यों?'


यह बात सुन बुद्धदेव मुस्कराए और बोले, हे राजन्! आप सबने अवश्य बहुमूल्य उपहार दिए हैं किंतु यह सब जो अपने मुझे अर्पित किया है यह आपकी संपत्ति का दसवां हिस्सा भी नहीं है। आपने जो यह दान दीनों और गरीबों की भलाई के लिए नहीं किया है, इसलिए आपके दुवारा दिया गया  यह दान 'सात्विक दान' की श्रेणी में नहीं आ सकता। 

  और भी बुद्ध  के उपदेश पढ़े 

इसके विपरीत इस बुढ़िया ने अपने मुंह का कौर ही मुझे दे डाला है। भले ही यह बुढ़िया बहुत  निर्धन है लेकिन इसे संपत्ति धन की कोई लालसा नहीं है। यही कारण है कि इसका दान मैंने खुले हृदय से, दोनों हाथों से स्वीकार किया है।'

Gautam buddha Ke updesh

                                                                                                            **परिश्रम और धैर्य****

 Gautam buddha Ke updesh

एक बार की बात हे जव भगवान बुद्ध को किसी गांव में उपदेश देने जाना था  जव  भगवान बुद्ध अपने अनुयायियों के साथ किसी गांव में उपदेश देने जा रहे थे।

Gautam buddha Ke updesh


 उस गांव से पूर्व ही मार्ग में उन लोगों को जगह-जगह बहुत सारे गड्ढे खुदे हुए मिले। बुद्ध के एक शिष्य ने उन गड्ढों को देखकर जिज्ञासा प्रकट की, आखिर इस तरह गड्ढे का खुदे होने का तात्पर्य क्या है?


बुद्ध बोले, पानी की तलाश में किसी व्यक्ति ने इतनें गड्ढे खोदे है। यदि वह धैर्यपूर्वक एक ही स्थान पर गड्ढे खोदता तो उसे पानी अवश्य मिल जाता, पर वह थोडी देर गड्ढा खोदता और पानी न मिलने पर फिर से कही और दूसरा गड्ढा खोदना शुरू कर देता ।


इसीलिए  कहा जाता है कि व्यक्ति को परिश्रम करने केसाथ - साथ धैर्य भी रखना चाहिए।


बुद्ध ने कहा-      महाराज! मेरे पास****





                        ***बुद्ध की अमृत की खेती****


 

 Gautam buddha Ke updesh

एक  बार की बात हे जव  भगवान बुद्ध भिक्षा के लिए एक गरीव  किसान के यहां पहुंचे। तथागत बुद्ध  को भिक्षा के लिए आया देखकर किसान उपेक्षा से बोला, श्रमण मैं हल जोतता हूं और तब खाता हूं। और बुद्ध से भी कहा तुम्हें भी हल जोतना और बीज बोना चाहिए और तब खाना खाना चाहिए।

फिर भगवान  बुद्ध ने कहा- महाराज! मैं भी खेती ही करता हूं...।

Gautam buddha Ke updesh


इस पर किसान को जिज्ञासा हुई और वह बोला- भगवान बुद्ध मैं न तो आपके  पास हल देखता हूं ना बैल और ना ही खेती का स्थल । तब आप कैसे कहते हैं कि आप भी खेती ही करते हो। आप कृपया अपनी खेती के संबंध में समझाइएं में जानने के लिए आतुर हूँ ।


बुद्ध ने कहा- महाराज! मेरे पास श्रद्धा का अमूल्य बीज, तपस्या रूपी वर्षा और प्रजा रूप में  जोत और हल है, पापभीरूता का दंड  भी है,और अटूट  विचार रूपी रस्सी है, स्मृति और जागरूकता रूप में  हल की फाल और पेनी है।


मैं वचन और कर्म में सदैव  संयत रहता हूं। और  मैं अपनी इस खेती को बेकार घास से सदैव  मुक्त रखता हूं और जाव तक आनंद की फसल काट लेने तक प्रयत्नशील रहने वाला हूं। अप्रमाद मेरा बैल हे जो बाधाएं देखकर भी पीछे मुंह नहीं मोडता है। वह मुझे सीधा शांति धाम तक ले जाता है। इस प्रकार मैं अमृत की

खेती करता हूं। 


और भी रोचक उपदेश 

Monday, July 11, 2022

Story of Gautam buddha

 

Story of Gautam buddha

Story of Gautam buddha 

एक बार की बात है जब भगवान बुद्ध जेतवन विहार में निवाश कर रहे थे उनके प्रिय भिच्छु चछुपाल भगवान बुद्ध से मिलने आये |  तो लोगो ने उनकी दिनचर्या और गुणों  की भी चर्चा कर रहे थे भिच्छु चछुपाल अन्धे थे | एक दिन जेतवन विहार के कुछ भिछुओ ने चछुपाल के कुटिया के बहार कुछ मरे हुए कीड़े देखे |

और फिर उन्होंने चछुपाल की निंदा करना आरंभ कर दिया , कि उन्होंने इन जीवित प्राणियों की हत्या की है | 

भगवान बुद्ध ने निंदा कर रहे उन भिक्षुओं को बुलाया और पूछा कि क्या तुमने भिक्षु को कीड़े मारते हुए देखा है। उन्होंने उत्तर दिया- नहीं।

इस पर भगवान बुद्ध ने उन साधकों से कहा कि जैसे तुमने उन्हें कीड़ों को मारते हुए नहीं देखा वैसे ही चक्षुपाल ने भी उन्हें मरते हुए नहीं देखा और उन्होंने कीड़ों को जान बूझकर नहीं मारा है इसलिए उनकी भर्त्सना करना उचित नहीं है।

भिक्षुओं ने इसके बाद पूछा कि चक्षुपाल अंधे क्यों हैं? उन्होंने इस जन्म में अथवा पिछले जन्म में क्या पाप किए।

भगवान बुद्ध ने चक्षुपाल के बारे में कहा कि वे पूर्व जन्म में एक चिकित्सक थे। एक अंधी स्त्री ने उनसे वादा किया था कि यदि वे उसकी आंखें ठीक कर देंगे तो वह और उसका परिवार उनके दास बन जाएंगे। स्त्री की आंखें ठीक हो गईं। पर उसने दासी बनने के भय से यह मानने से इंकार कर दिया।

गौतम बुद्ध का जीवन परिचय 

चिकित्सक को तो पता था कि उस स्त्री की आंखें ठीक हो गई हैं। वह झूठ बोल रही है। उसे सबक सिखाने के लिए या बदला लेने के लिए चक्षुपाल ने दूसरी दवा दी, उस दवा से महिला फिर अंधी हो गई। वह कितना ही रोई-पीटी, लेकिन चक्षुपाल जरा भी नहीं पसीजा। इस पाप के फलस्वरूप अगले जन्म में चिकित्सक को अंधा बनना पड़ा।

please-like, share and comment


Wednesday, July 6, 2022

Mahatma Gautam buddha Ke updesh

 
गौतम बुद्ध के उपदेश और अनमोल वचन / Gautam Buddha Updesh in Hindi



Mahatma Gautam buddha Ke updesh

Mahatma Gautam buddha Ke updesh

1.आनन्द इस पर निर्भर नहीं करता कि आपके पास क्या है? या आप क्या हैं? ये पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करती है कि आप क्या सोचते हैं?

शील पुरुष को दुष्टों के द्वारा सदा से सताया जाता रहा है।

हजारों महत्वहीन शब्दों से वह एक अच्छ शब्द है जो शांति लाये।

2.हजारों युद्ध जितने से बेहतर है कि स्वयं को जीत लें, फिर वो जीत तुम्हारी होगी जिसे कोई तुमसे नहीं छीन सकता।


                                        

experience

 

3.तुम जो भी बोलने जा रहे हो सोच समझकर शब्दों का प्रयोग करना और ध्यान रखना सुनने वाले पर इन शब्दों क्या प्रभाव पड़ेगा? अच्छा या बुरा!

4.एक कर्त्तव्यनिष्ठ, प्रतिभाशाली, इज्जतदार व्यक्ति जहां कहीं भी जाता है, वहां पर उसका सम्मान किया जाता है।

5.सांसारिक पीड़ा तो तय है, यह आपके बस की बात नहीं। हां उस पीड़ा से स्वयं दुखी होना या न होना यह आपके बस में जरूर है।


6.एक जागे हुए इंसान को रात बहुत लम्बी लगती है, एक थके हुए इंसान को मंजिल बहुत दूर नजर आती है, सच्चे धर्म से अनजान मनुष्य के लिए जीवन-मृत्यु का आवागमन भी उतना ही लंबा दिखाई पड़ता है।


7.आखिर में यही बात सबसे ज्यादा मायने रखती है कि आपने कितनी अच्छी तरह से प्रेम किया, अपने जिंदगी को कितना भरपूर जिया और आपने कितनी गहराई से लोगों की गलतियां को माफ किया।


8.आप चाहे कितने ही धार्मिक ग्रंथ पढ़ लें आप चाहे कितने ही पवित्र मंत्र बोल लें, लेकिन जब तक आप उन्हें अपने भीतर नहीं उतारते उनका कोई फायदा नहीं है।


9.संसार में कोई भी वस्तु कभी भी अकेले विद्यमान नहीं होती, हर एक वस्तु का संबंध सम्पूर्ण दूसरी वस्तुओं से होता है।

Mahatma Gautam buddha Ke updesh

10.जीवन की यात्रा में भरोसा आपको पोषण देता है, अच्छे काम पुण्य की तरह हैं, ज्ञान सूर्य की रोशनी की तरह है और सजगता आपका बचाव करती है। यदि इंसान निष्कपट जीवन जीता है, तो कोई चीज मनुष्य को नष्ट नहीं कर सकती है।


11.हर अनुभव से कुछ न कुछ सिखा जा सकता है, हर अनुभव अपने आप में सार्थक है, क्योंकि हम अपनी भूलों से ही सीखते हैं।


12.प्रत्येक मनुष्य को यह अधिकार है कि वह अपनी दुनिया की स्वयं खोज करे।


13.प्रत्येक दिन का महत्व होती है, इंसान रोज एक नया जन्म लेता है, हर दिन एक नए उद्देश्य को पूरा करने के लिए एक-एक दिन का महत्व समझें।


14.मैं दुनिया के साथ मतभेद नहीं करता, लेकिन ये दुनिया है जो मेरे साथ मतभेद करती है।


15.एक पावन ओर शुद्ध मन के साथ कोई व्यक्ति बोलता या कार्य करता है, तो इंसान के साये की तरह ख़ुशी कभी उसका पीछा छोड़ती।

16.अपने मोक्ष के लिए स्वयं ही उपाय करें, दूसरों के भरोसे ना रहें।


 17.भगवान गौतम बुद्ध के अनमोल विचार

स्वयं के मन को शांत करने पर, समस्त बाधाओं का समाधान निकल आता है।


18.भूतकाल को याद मत करो, भविष्य के बारे में मत सोचो, वर्तमान में जिओ, यही खुश रहने का एकमात्र उपाय है।


19.मंजिल तक पहुँचना भी जरूरी है, पर इससे भी जरूरी यह है कि यात्रा अच्छे से हो।


20.आपको कभी नहीं देखना की क्या किया जा चुका है, आपको हमेशा यह देखना है कि क्या किया जाना बाकी है।


21.वे इंसान जो लोगों से प्रेम करते है, वे संकटों से घिरे रहते है, ओर जो इंसान किसी से भी प्रेम नहीं करते, उन्हें कोई संकट या कष्ट नहीं होते।


22.वहम एक खतरनाक रोग है, वहम लोगो को जुदा कर देता है। यह दो अच्छे मित्रों को बिछड़ने पर मजबूर कर देता है, किसी अच्छी रिश्तेदारी को बरबाद कर देता है।

                                                             


23.शांति मन के भीतर से उत्पन्न होती है, इसको बाहर मत खोजो।


24.सत्य की राह पर चलते हुए इंसान केवल दो भूल कर सकता है या तो पूरा रास्ता तय नहीं कर पाता या फिर शुरुआत ही नहीं कर पाता।


25.आप अपने क्रोध के लिए सजा नहीं पाओगे, आप अपने क्रोध के कारण सजा पाओगे।


26.जिसने अपने मन को स्वयं के वश में कर लिया, उसकी जीत को दानव क्या देवता भी पराजय में नहीं बदल सकते हैं।


27.बुराई अवश्य ही रहनी चाहिए, तभी तो अच्छाई बुराई के ऊपर अपनी जीत साबित कर पाएंगी है।


28.शरीर और मन दोनों की सेहत का राज है कि जो बीत गया उसका दुःख ना करें।


29.दुनिया हमेशा से बढाई और निंदा करने का बहाना ढूंढती। यही होता रहा है, यही होता है और यही होता रहेगा।


30.क्रोध को बिना क्रोधित हुए जीतो, बुराई को अच्छाई से जीतो, कंजूसी को दरियादिली से जीतो, और असत्य बोलने वाले को सत्य बोलकर जीतो।


Read more- Gautam Buddha life story


31.अगर तुमको मेरी तरह बांटने की प्रेरणाशक्ति के बारे में पता होता तो तुम कभी भी बिना बांटे आहार नहीं खाते।


32.यदि कोई कार्य करने लायक है, तो उस कार्य को पूर्ण लगन से करो। तभी उस कार्य में पूर्ण सफलता मिलेगी।


33.वास्तविक समस्या यह है कि तुमको लगता है कि फलां कार्य को करने के लिए अभी तुम्हारे पास बहुत समय है।


34.अव्यवस्था सभी जटिल बातों में जन्मजात है. मेहनत के साथ प्रयास करते रहो।




Tuesday, July 5, 2022

Life of Gautam Buddha-गौतम बुद्ध के उपदेश और जीवन

Life of Gautam Buddha-गौतम बुद्ध के उपदेश और जीवन 


                     गोतम बुद्ध का जन्म वैशाख मास की पूर्णिमा को नेपाल के

gautam buddha jayanti

    बुद्ध जयंती Gautam buddha Purnima                                                             बुद्ध जयंती(Gautam buddha Jayanti) -      ...